Tuesday, September 14, 2010

राखी पर मिठाइयां खरीदते समय..


सुबोध भारतीय
First Published:19-08-10 12:05 PM

राखी का त्योहार करीब है और इस अवसर पर बहनें अवश्य ही अपने भाइयों का मुंह मीठा करवाएंगी। मगर पिछले कुछ समय से मीडिया में मिठाई के प्रति आ रही नकारात्मक खबरों ने आम जनता के मन में संदेह उत्पन्न कर दिया है। फिर भी मिठाई के बिना कोई उत्सव मनाना असंभव है। आइये जानें राखी के अवसर पर आप किस तरह अच्छी मिठाइयों का चयन कर सकते हैं।

मिठाइयां मुख्यत: तीन प्रकार की होती हैं- पहली ड्राई-फ्रूट्स से बनी मिठाइयां। दूसरी दूध या मावे से बनी मिठाइयां और तीसरी परंपरागत मिठाइयां, जिनमें देसी घी मुख्य तत्व रहता है।

ड्राई-फ्रूट्स जैसे काजू, बादाम और पिस्ता से बनी मिठाइयों की गुणवता के बारे में अधिक संदेह की गुंजाइश नहीं है। इनकी पूरी वैरायटी जैसे काजू कतली, पिस्ता लॉज, काजू रोल, मेवा बाइट्स, बादाम बरफी, अंजीर बर्फी इत्यादि आपको सिर्फ बड़े और नामी-गिरामी हलवाइयों के यहां ही मिलेगी। इनकी शेल्फ लाइफ अन्य मिठाइयों से ज्यादा होती है, मगर दाम करीब दोगुने। यदि आपकी पॉकेट इजाजत दे तो यह एक अच्छा चयन हो सकता है।

मिठाइयों में दूसरा वर्ग-दूध, छैने या मावे से बनी मिठाइयों का है। इन्हीं में सबसे अधिक मिलावट की आशंका होती है, विशेषकर मावे से बनी मिठाइयों में। इनमें सिन्थेटिक दूध और नकली मावा (देसी घी रहित) इस्तेमाल किया जा सकता है। मावे से बनी मिठाइयों में जल्दी खराब होने की संभावना भी होती है। इनमें से छैने से बनी मिठाइयों-जैसे मलाई चाप, रसगुल्ला, पाकीजा, रस माधुरी, राजभोग, रस कदम, संदेस इत्यादि की शेल्फ लाइफ तो मात्र कुछ घंटों की ही होती है। हालांकि यह मिठाइयां खाने में अत्यंत सुस्वादु तथा देखने में सुन्दर होती हैं, मगर इन मिठाइयों को लेने-देने में इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। दूध और मावे से बनी कुछ मिठाइयां जैसे गुलाब जामुन, मिल्क केक, पेड़ा आदि सबसे ज्यादा दिनों तक चलती हैं, क्योंकि इन्हें देर तक पका कर बनाया जाता है।

तीसरे वर्ग यानी घी से बनी मिठाइयों में सबसे कम मिलावट के चांस हैं और यह आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़ेंगी। आपको यह मिठाइयां उन दुकानों से खरीदनी होंगी, जो सारी मिठाइयां देसी घी में ही बनाते हैं। इन मिठाइयों को आप हफ्ते-दस दिन तक भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इन मिठाइयों में प्रमुख हैं-मोतीचूर के लड्डू, बेसन के लड्ड, पंजीरी लड्ड, बालू शाही, इमरती, सोहन पापड़ी, पतीसा, मूंग दाल बरफी, पिन्नी, नारियल बर्फी इत्यादि। इन मिठाइयों के पक्ष में एक बात और जाती है कि कुछ दिनों बाद भी इनके स्वाद में ज्यादा अंतर नहीं पड़ता।

अंत में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मिठाइयां अपने इलाके के पुराने और प्रतिष्ठित हलवाइयों से ही खरीदें। यह अपनी प्रतिष्ठा की कीमत मिलावट से ऊपर ही रखते हैं। राखी, दीवाली के अवसर पर खुलने वाली नुक्कड़ दुकानों से कदापि सामान न खरीदें, क्योंकि उनका सामान नकली व बासी हो सकता है। ये दुकानें चन्द दिनों के लिए ही अस्थाई रूप से चलाई जाती हैं। सबसे जरूरी बात मिठाई खरीदते समय यह कि पहले मिठाई विशेष को चख लें, यदि अच्छी लगे और आप संतुष्ट हों तभी खरीदें। छोटी दुकानें मिठाई का डिब्बा साथ में तोल कर ग्राहकों को चूना लगाती हैं, जबकि बड़ी दुकानों में डिब्बे का वजन अलग किया जाता है। इसका ध्यान रखें।

इस बारे में अग्रवाल स्वीट कॉर्नर, द्वारका के एमडी विनोद अग्रवाल का कहना था-मिलावटी मावे या मिठाइयों की घटनाएं आज तक दिल्ली के किसी भी नामी या पुराने हलवाई के साथ नहीं हुई हैं। हमारी मिठाइयां कुछ महंगी अवश्य हो सकती हैं, मगर हमें अपनी प्रतिष्ठा, जो हमने सालों-साल मेहनत करके बनाई है-ज्यादा प्यारी है। इसलिए हम कभी भी हल्का सामान इस्तेमाल नहीं करते।

ज्यादा शेल्फ लाइफ वाली मिठाइयां

1. काजू कतली, 2. पिन्नी, 3. ढोढा, 4. मोतीचूर-लड्ड, 5. पेठा, 6. बेसन लड्ड, 7. पंजीरी लड्ड, 8. पेड़ा, 9. सोहन पापड़ी, 10. पतीसा, 11. बालू शाही, 12. मिल्क केक।

न्यू वैडिंग ट्रेंड्स

शादियों का मौसम बस कुछ दिनों बाद दस्तक देने ही वाला है, जो कि थोड़े-थोड़े अन्तराल के साथ फरवरी-मार्च तक चलेगा। दिल्ली में शादियों के दो ही सीजन होते हैं - गर्मियों में और सर्दियों में। जो लोग शादी की भव्यता का पूरा आनन्द लेना चाहते हैं, वह शादियां सर्दी में ही करते हैं, क्योंकि यह सीजन लम्बा होता है और पसीने- गर्मी से बदहाल भी नहीं करता। आइये देखें आजकल दिल्ली में शादियों के दौरान क्या कुछ नया होने लगा है। सुबोध भारतीय की रिपोर्ट

वैडिंग फैशन

पिछले एक-दो वर्षों में दूल्हा-दुल्हन के परिधानों का फैशन बदला है। प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर रुचिका मोदी के अनुसार, अब लोग ज्यादा डिमांडिंग हो गए हैं और तैयार ड्रेसेज को देख कर उनमें अपनी रुचि के अनुसार परिवर्तन करवाते हैं। अब पुराने लहंगे का रिवाज खत्म हो गया है, जिसमें बड़ा सा घेरदार लहंगा होता था। अब ये कमर व घुटनों तक बॉडी के हिसाब से फिटेड होते हैं और उसके बाद कलियों से घेरा बनाया जाता है। इससे दुल्हन की फिगर छुपती नहीं, बल्कि आकर्षक लगती है। इन लहंगों में आजकल ब्राइट कलर चल रहे हैं, जैसे ऑरेंज, गुलाबी, पीला व परंपरागत मैरून। इनमें शिमर, नेट, जॉर्जेट और शिफॉन कपड़े इस्तेमाल किये जाते हैं। इन लहंगों में जरदोरी नक्शी या कोटा पत्ती का काम किया जाता है। कीमत 25,000 से शुरू होती है और ऊपरी लिमिट कोई नहीं।

आजकल शादियों में संगीत और मेहंदी आदि के अलग फंक्शन भी धूमधाम से मनाये जाते हैं। इनके लिए दुल्हनें वेस्टर्न गाउन्स पहनने लगी हैं या लहंगा साड़ी। इस लहंगा साड़ी में पल्लू पहले से फिक्स होता है और साड़ी की तरह चुन्नटें नहीं बांधनी पड़तीं। छाबड़ा 555 के लालचंद मूलचन्दानी के अनुसार, लहंगा साड़ी का चलन अब बढ़ता जा रहा है, क्योंकि शादी का एक फंक्शन नहीं होता। दुल्हन को मेहंदी, संगीत या चुन्नी की रस्म में भी अलग दिखना होता है।

दूल्हों के परिधान में भी पिछले कुछ सालों में परिवर्तन आया है। वेस्टर्न सूट का रिवाज प्राय: खत्म ही हो गया है। शेरवानी तो दूल्हों की पहली पसंद है ही, इंडो-वेस्टर्न सूट का रिवाज भी अब तेजी से बढ़ता जा रहा है। दीवान साहब, गुजराल संस, रॉड आदि शोरूम्स पर इंडो-वेस्टर्न सूट्स उपलब्ध हैं। इनकी प्राइज रेंज 15,000 से शुरू होकर 50,000 तक है।

मेकअप

दुल्हनों के मेकअप या लुक में अब काफी बदलाव आया है। सौन्दर्य विशेषज्ञ भारती तनेजा के अनुसार, दुल्हन के चेहरे पर अब बिंदियों का श्रृंगार कम से कम होता जा रहा है। साठ के दशक वाले आई लाइनर्स ट्रैंड में हैं। आंखों पर ग्लिटर्स की शिमरिंग की जाती है, जबकि फॉल्स आई लैशेज अब पहले से बेहतर और परिपूर्ण हो गई हैं। पहले जो मेकअप ब्रश और हाथों से किया जाता था और चेहरे पर काफी मोटी लेयर्स रहती थीं, अब उसकी जगह एयर ब्रश से वॉटर प्रूफ मेकअप किया जाता है। एयर ब्रश तकनीक में मौसम और दुल्हन की त्वचा के अनुसार मेकअप एडजस्ट हो जाता है। यह काफी नेचुरल लगता है और अधिक सफाई से होता है। दुल्हनों के ब्राइडल मेकअप की रेंज 8,000 से 21,000 तक है।

दूल्हे भी मेकअप के मैदान में पीछे नहीं हैं। जेन्ट्स या यूनीसेक्स सैलून्स में ग्रूम्स पैकेजचल रहे हैं। इनमें पैडिक्योर, मेनिक्योर से लेकर फेशियल, ब्लीचिंग, फेस मसाज और हेयर स्टाइलिंग भी की जाती है।

फोटोग्राफी

विवाह उत्सव की भव्यता में एक अहम रोल फोटोग्राफी का भी होता है। शादी के सारे समारोह निबट जाने के बाद उसके यादगार पल एलबम में सिमट जाते हैं, जो सालोंसाल शादी की भव्यता की याद दिलाती रहते हैं। दिल्ली के नामचीन प्रेम स्टूडियो के मुकेश राजपूत के अनुसार, 12 बाई 30 की करिज्मा एलबम आजकल प्रचलन में है। शादियों में स्टूडियो लगाने से भी दूल्हा-दुल्हन व परिवार के प्रोफेशनल फोटोग्राफ मिल जाते हैं। कई बार मेजबान अपने मेहमानों के परिवार के भी फोटोग्राफ इन्हीं में खिंचवाते हैं, बाद में उन्हें यादगार के रूप में भेज देते हैं। आजकल के वैवाहिक आयोजनों को देखते हुए फोटोग्राफी का बजट एक-डेढ़ लाख तक जाता है। अभी लेटेस्ट ट्रैंड मैटेलिक पेपर पर 16 बाई 24 की एलबम बनाने का है, जिसमें प्रति एलबम 30 हजार रु. तक खर्चा आता है।

वीडियोग्राफी का लेटेस्ट ट्रैंड हाई डेफिनेशन वीडियोग्राफी का है। शादी के आयोजन में जिप क्रेन द्वारा मूविंग कैमरा लगाया जाता है और बड़ी-बड़ी स्क्रीन्स पर इसे लाइव दिखाया जाता है। वीडियोग्राफी में प्रति कैमरा 10 से 18 हजार रुपये तक का खर्च आता है। फाइनल डीवीडी बनाने में मिक्सिंग, एडिटिंग के लेटेस्ट सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किए जाते हैं।

पंडाल और कैटरिंग

पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में पार्किंग और स्थान की तंगी के बावजूद पंडालों में शादियों का चलन बढ़ा है। फाइव स्टार होटल्स और बैंकेट हॉल्स की बजाय बड़ी-बड़ी जगहों में भव्य पैमाने पर टैंट वालों द्वारा ग्राहकों की मांग के अनुसार इंडिया गेट, अक्षर धाम, राजस्थानी मुगल आदि थीम बनाई जा रही हैं। मोहन टैंट हाउस के अविनाश ओबेराय के अनुसार- हमारे ग्राहक अब थीम बेस डेकोरेशन पर ज्यादा जोर देने लगे हैं। इनमें रॉयल या डेस्टिनेशन वेडिंग थीम काफी लोकप्रिय हैं। लोग इसी प्रकार का एक्सटीरियर और इंटीरियर चाहते हैं और सजावट में छोटी से छोटी चीज का ध्यान रखने लगे हैं। पार्किंग की समस्या का समाधान वैले पार्किंग के रूप में आया है, जो कि थीम बेस वेडिंग में जरूर ही उपलब्ध रहती है। इससे मेहमानों को काफी अच्छा महसूस होता है। थीम बेस पंडाल का खर्च 10 लाख से ऊपर ही आता है।

कैटरिंग का व्यवसाय अब काफी बड़ा रूप ले चुका है। मेजबान अपने मेहमानों को अधिक से अधिक और बेहतरीन वैरायटी खिलाना चाहते हैं। यही वजह है कि आज एक शादी की पार्टी में 80 से 250 तरह के व्यंजन परोसे जा रहे हैं। दिल्ली के प्रसिद्ध कैटरर सेवन सीज के कल्याण दास का कहना है- अब खाने की वैरायटी में कोई सीमा नहीं रही। फ्रूट चाट में विदेशी फलों के अलावा थाई, मैक्सिकन और इटेलियन पित्जा जैसी वैरायटी अब आम हो गई है और कॉकटेल के बिना कोई पार्टी पूरी नहीं होती। मेहमानों को अब दावत में केक पेस्ट्री की वैरायटी के साथ-साथ मुगलई, साउथ इंडियन, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती, मैक्सिकन, चाइनीज और थाई फूड की वैरायटी भी एक ही पंडाल में मिल जाती है। मिठाइयों और आइसक्रीम तथा कुल्फी की वैरायटी भी अब कम से कम 15 किस्म की होती है। चाट काउंटर्स और स्नैक्स की वैरायटी भी अब अनगिनत हो गई हैं। इस प्रकार के आयोजन में प्रति प्लेट 800 से लेकर 1500 रुपये तक खर्चा आता है।

निमंत्रण

शादी की तैयारी में सबसे महत्त्वपूर्ण रोल निमंत्रण पत्र यानी वैडिंग कार्ड का होता है। अब औसत दर्जे का शादी कार्ड 25-75 रुपये का बनता है और बड़े दर्जे की शादी करने वाले लोग शादी कार्ड 500 रुपये तक का बनवाते हैं। इम्पोर्टेड पेपर पर गोल्डन लीफ प्रिंटिग, यूवी इफैक्ट व लेजर कट के मोटिफ लगाने से लेकर शादी कार्ड से मैचिंग मिठाई और भाजी का डिब्बा तक बनाया जाता है। यही लेटेस्ट ट्रैंड है। प्राय: सभी निमंत्रण पत्रों के साथ मैचिंग मिठाई का डिब्बा बांटा जाता है। इसके लिए लोग चावड़ी बाजार से लेकर लुधियाना के फव्वारा चौक तक पहुंच जाते हैं। आखिर शादी की भव्यता का अंदाजा शादी कार्ड के गेटअप से ही हो जाता है। वैसे जिन निमंत्रण पत्रों के साथ मिठाई बांटी जाती है, उन्हें व्यक्तिगत रूप से देने का चलन है, जबकि यदि सिर्फ कार्ड ही भेजना हो तो कूरियर से भेज कर फोन कर दिया जाता है.

(यह लेख १४ सितम्बर को हिंदुस्तान हिंदी दैनिक में प्रकाशित हुआ है)