I am a person, with a happy go lucky attitude. I am extremely positive and passionate person. I believe in good human relationship. I am fond of reading books on various subject. I also write as a freelancer in Hindi.
Sunday, May 17, 2009
Thursday, May 14, 2009
आज के चुटकुला
डॉक्टर दूसरे डॉक्टर से बोला - यार मैंने ओपरेशन एकदम सही समय पर कर दिया , वरना मरीज़ अपने आप ही ठीक हो जाता.
आज का चुटकुला
चौपटजी का पड़ोसी बोला- अरे यार चौपटजी, मेरा कुत्ता बीमार हो गया है क्या करुँ?
चौपटजी बोले -भाई मेरा कुत्ता बीमार हुआ था तो मैंने उसे पेट्रोल पिलाया था।
अगले दिन पड़ोसी रोते हुए आया बोला- चौपटजी, मेरा कुत्ता तो मर गया !
चौपटजी बोले -यार मर तो मेरा भी गया था .
चौपटजी बोले -भाई मेरा कुत्ता बीमार हुआ था तो मैंने उसे पेट्रोल पिलाया था।
अगले दिन पड़ोसी रोते हुए आया बोला- चौपटजी, मेरा कुत्ता तो मर गया !
चौपटजी बोले -यार मर तो मेरा भी गया था .
कविता
आज सुबह से पूर्व अचानक
उचटी नींद ब्रह्म वेला में
खिड़की से देखा तारों को
अपने चिरपरिचित प्यारों को
गिनती में कुछ कम दिखते थे
और थके दिखते थे जैसे
श्रोतागण संगीत सभा के
अन्तिम राग भैरवी छिड़ने से पहले
आह यही वेला है जिसने
मेरे मनभाते सपनों को
मधु गीतों का रूप दिया है
और यही घडियां हैं जिनमे
महा तृप्ति के वश हो मैंने
प्रेयसी का मुख चूम लिया है
गुपचुप गुपचुप ओस की बूँदें टपक रही थीं
अम्बर जैसे झूम रहा था
धरती जैसे झूम रही थी
शान्ति सृजन की इस वेला में
मुझको कविता सूझ रही थी
पर ये कुत्ते !
उफ़ ये कुत्ते!!
गलियों के आवारा कुत्ते
ज़ोर ज़ोर से लगे भोंकने
तार तार हो गयी कल्पना
जुड़ती कडियाँ लगी टूटने
कुत्ते क्यों दम तोड़ रहे हैं
शान्ति सृजन की इस वेला में
कुत्ते किसे भंभोड़ रहे हैं
जंगखोर इंसानों जैसे
और अंधे शैतानों जैसे
उफ़ ये कुत्ते पागल कुत्ते!
उचटी नींद ब्रह्म वेला में
खिड़की से देखा तारों को
अपने चिरपरिचित प्यारों को
गिनती में कुछ कम दिखते थे
और थके दिखते थे जैसे
श्रोतागण संगीत सभा के
अन्तिम राग भैरवी छिड़ने से पहले
आह यही वेला है जिसने
मेरे मनभाते सपनों को
मधु गीतों का रूप दिया है
और यही घडियां हैं जिनमे
महा तृप्ति के वश हो मैंने
प्रेयसी का मुख चूम लिया है
गुपचुप गुपचुप ओस की बूँदें टपक रही थीं
अम्बर जैसे झूम रहा था
धरती जैसे झूम रही थी
शान्ति सृजन की इस वेला में
मुझको कविता सूझ रही थी
पर ये कुत्ते !
उफ़ ये कुत्ते!!
गलियों के आवारा कुत्ते
ज़ोर ज़ोर से लगे भोंकने
तार तार हो गयी कल्पना
जुड़ती कडियाँ लगी टूटने
कुत्ते क्यों दम तोड़ रहे हैं
शान्ति सृजन की इस वेला में
कुत्ते किसे भंभोड़ रहे हैं
जंगखोर इंसानों जैसे
और अंधे शैतानों जैसे
उफ़ ये कुत्ते पागल कुत्ते!
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