राखी का त्योहार करीब है और इस अवसर पर बहनें अवश्य ही अपने भाइयों का मुंह मीठा करवाएंगी। मगर पिछले कुछ समय से मीडिया में मिठाई के प्रति आ रही नकारात्मक खबरों ने आम जनता के मन में संदेह उत्पन्न कर दिया है। फिर भी मिठाई के बिना कोई उत्सव मनाना असंभव है। आइये जानें राखी के अवसर पर आप किस तरह अच्छी मिठाइयों का चयन कर सकते हैं।
मिठाइयां मुख्यत: तीन प्रकार की होती हैं- पहली ड्राई-फ्रूट्स से बनी मिठाइयां। दूसरी दूध या मावे से बनी मिठाइयां और तीसरी परंपरागत मिठाइयां, जिनमें देसी घी मुख्य तत्व रहता है।
ड्राई-फ्रूट्स जैसे काजू, बादाम और पिस्ता से बनी मिठाइयों की गुणवता के बारे में अधिक संदेह की गुंजाइश नहीं है। इनकी पूरी वैरायटी जैसे काजू कतली, पिस्ता लॉज, काजू रोल, मेवा बाइट्स, बादाम बरफी, अंजीर बर्फी इत्यादि आपको सिर्फ बड़े और नामी-गिरामी हलवाइयों के यहां ही मिलेगी। इनकी शेल्फ लाइफ अन्य मिठाइयों से ज्यादा होती है, मगर दाम करीब दोगुने। यदि आपकी पॉकेट इजाजत दे तो यह एक अच्छा चयन हो सकता है।
मिठाइयों में दूसरा वर्ग-दूध, छैने या मावे से बनी मिठाइयों का है। इन्हीं में सबसे अधिक मिलावट की आशंका होती है, विशेषकर मावे से बनी मिठाइयों में। इनमें सिन्थेटिक दूध और नकली मावा (देसी घी रहित) इस्तेमाल किया जा सकता है। मावे से बनी मिठाइयों में जल्दी खराब होने की संभावना भी होती है। इनमें से छैने से बनी मिठाइयों-जैसे मलाई चाप, रसगुल्ला, पाकीजा, रस माधुरी, राजभोग, रस कदम, संदेस इत्यादि की शेल्फ लाइफ तो मात्र कुछ घंटों की ही होती है। हालांकि यह मिठाइयां खाने में अत्यंत सुस्वादु तथा देखने में सुन्दर होती हैं, मगर इन मिठाइयों को लेने-देने में इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। दूध और मावे से बनी कुछ मिठाइयां जैसे गुलाब जामुन, मिल्क केक, पेड़ा आदि सबसे ज्यादा दिनों तक चलती हैं, क्योंकि इन्हें देर तक पका कर बनाया जाता है।
तीसरे वर्ग यानी घी से बनी मिठाइयों में सबसे कम मिलावट के चांस हैं और यह आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़ेंगी। आपको यह मिठाइयां उन दुकानों से खरीदनी होंगी, जो सारी मिठाइयां देसी घी में ही बनाते हैं। इन मिठाइयों को आप हफ्ते-दस दिन तक भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इन मिठाइयों में प्रमुख हैं-मोतीचूर के लड्डू, बेसन के लड्ड, पंजीरी लड्ड, बालू शाही, इमरती, सोहन पापड़ी, पतीसा, मूंग दाल बरफी, पिन्नी, नारियल बर्फी इत्यादि। इन मिठाइयों के पक्ष में एक बात और जाती है कि कुछ दिनों बाद भी इनके स्वाद में ज्यादा अंतर नहीं पड़ता।
अंत में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मिठाइयां अपने इलाके के पुराने और प्रतिष्ठित हलवाइयों से ही खरीदें। यह अपनी प्रतिष्ठा की कीमत मिलावट से ऊपर ही रखते हैं। राखी, दीवाली के अवसर पर खुलने वाली नुक्कड़ दुकानों से कदापि सामान न खरीदें, क्योंकि उनका सामान नकली व बासी हो सकता है। ये दुकानें चन्द दिनों के लिए ही अस्थाई रूप से चलाई जाती हैं। सबसे जरूरी बात मिठाई खरीदते समय यह कि पहले मिठाई विशेष को चख लें, यदि अच्छी लगे और आप संतुष्ट हों तभी खरीदें। छोटी दुकानें मिठाई का डिब्बा साथ में तोल कर ग्राहकों को चूना लगाती हैं, जबकि बड़ी दुकानों में डिब्बे का वजन अलग किया जाता है। इसका ध्यान रखें।
इस बारे में अग्रवाल स्वीट कॉर्नर, द्वारका के एमडी विनोद अग्रवाल का कहना था-मिलावटी मावे या मिठाइयों की घटनाएं आज तक दिल्ली के किसी भी नामी या पुराने हलवाई के साथ नहीं हुई हैं। हमारी मिठाइयां कुछ महंगी अवश्य हो सकती हैं, मगर हमें अपनी प्रतिष्ठा, जो हमने सालों-साल मेहनत करके बनाई है-ज्यादा प्यारी है। इसलिए हम कभी भी हल्का सामान इस्तेमाल नहीं करते।
ज्यादा शेल्फ लाइफ वाली मिठाइयां
1. काजू कतली, 2. पिन्नी, 3. ढोढा, 4. मोतीचूर-लड्ड, 5. पेठा, 6. बेसन लड्ड, 7. पंजीरी लड्ड, 8. पेड़ा, 9. सोहन पापड़ी, 10. पतीसा, 11. बालू शाही, 12. मिल्क केक।