यह बॉलीवुड ही है, जिसमें कभी भी धर्म के नाम पर इंडस्ट्री में कभी कोई बात नहीं उठी, कलाकार की कला ही ऊपर रखी गई। राजकपूर-नरगिस, गुरुदत्त-वहीदा रहमान की जोड़ी हो या देव आनंद-सुरैया की, जनता ने इन्हें सर आंखों पर रखा। आधुनिक दौर में भी शाहरूख-काजोल, सलमान-करिश्मा और सैफ अली-करीना की जोड़ियां कम हिट नहीं रही हैं।
बॉलीवुड में हिन्दू-मुस्लिम कलाकारों में प्रेम संबंध शुरु से ही रहे हैं। राजकपूर विवाहित थे मगर नरगिस से उनके प्रेम संबंध जग जाहिर थे। देवानंद से सुरैया मरते दम तक प्यार करती रहीं और अविवाहित रहीं।
बॉलीवुड ने हर दौर में धर्म-मजहब से ऊपर उठ कर समाज के सामने सांप्रदायिक सौहार्द बनाने की कारगर कोशिश की है और इन कोशिशों को जनता ने तहे-दिल से स्वीकार भी किया। ऐसे फिल्मों और कार्यक्रमों की शानदार लोकप्रियता इस बात का सबूत है कि मनोरंजन और कला में मजहब का कोई रोल नहीं होता। जनता कला और कलाकार से ही प्रेम करती है, उसके हिन्दू या मुस्लिम होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
मगर शुरू से ऐसा नहीं था। विभाजन से पूर्व लाहौर पंजाबी कलाकारों का गढ़ था तो कलकत्ता बंगाली कलाकारों का। बम्बई में सभी के लिए दरवाजे खुले थे, मगर विभाजन के दौरान हुए धार्मिक दंगों और मारकाट के बाद बम्बई में रह गए कलाकारों के लिए अपने मूल मुस्लिम नामों को रखना सेफ नहीं माना जाता था। यही वजह थी कि यूसुफ खान को दिलीप कुमार बनना पड़ा और हामिद को अजीत। माहजबी बानो मीना कुमारी बनीं और मुमताज बेगम मधुबाला। मगर यह आशंकाएं बेकार साबित हुईं, क्योंकि सुरैया और नरगिस अपने मुस्लिम नामों के बावजूद सुपरस्टार थीं और आज तो यह आलम है कि शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान और सैफ अली खान के बिना बॉलीवुड की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
सुरैया की नानी ने भले ही देवानंद के हिन्दू होने की आड़ लेकर उनकी शादी नहीं होने दी, दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी में ऐसी कोई अड़चन नहीं थी। फिर भी मधुबाला की नानी ने ये शादी नहीं होने दी, क्योंकि मधुबाला उस समय पैसे कमाने वाली स्टार थीं। बाद में मधुबाला के करियर के अंतिम दौर में उन्हें किशोर कुमार का सहारा मिला। किशोर ने यह जानते हुए कि मधुबाला दिल की मरीज हैं और थोड़े समय की ही मेहमान हैं, उनसे शादी की और उनसे प्यार करते रहे।
इसी प्रकार राजकपूर-नरगिस के प्रेम संबंध तब तक ही बने रहे, जब तक मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान हुए हादसे के बाद नरगिस ने सुनील दत्त से शादी नहीं कर ली। इनकी वैवाहिक जोड़ी फिल्मी दुनिया की सबसे सफल जोड़ियों में गिनी जाती थी। इनके पुत्र संजय दत्त की भी दूसरी शादी दिलनवाज से हुई, जिसका नाम मान्यता रखा गया।
नासिर खान अपने समय के नामी-गिरामी प्रोड्यूसर-डायरेक्टर थे। आशा पारिख को उन्होंने ही ब्रेक दिया था। ताउम्र उनके प्रेम में पड़ने के बावजूद वह उनसे शादी नहीं कर पाईं, क्योंकि वह पहले से विवाहित थे। आज नासिर खान हमारे बीच नहीं है मगर कुंवारी आशा पारिख अब भी उनके परिवार का ख्याल रख कर अपना कर्त्तव्य निभा रही हैं।
पटौदी के नवाब मसूर अली खान भारतीय क्रिकेट के लोकप्रिय कप्तान थे और शर्मिला टैगोर फिल्म दुनिया की खूबसूरत और बेहतरीन अदाकारा। जब इनके बीच प्रेम-अंकुर फूटा तो उसे विवाह संबंध में बदलते देर न लगी। शादी के 41 साल बाद आज भी यह अटूट बंधन में बंधे हैं। इनके साहबजादे सैफ अली खान ने अपने लिए सिख अभिनेत्री अमृता सिंह को चुना। शादी के 13 साल बाद हालांकि इनका तलाक हो चुका है। आजकल इनका रोमांस करीना कपूर से चल रहा है और शादी की संभावना भी है।
सलीम-जावेद की जोड़ी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे कामयाब स्क्रीन प्ले राइटर जोड़ी रही है। मगर एक और चीज इनके बीच कॉमन है, इनके परिवार में गैर मुस्लिम सदस्यों का होना। सलीम खान ने पहली शादी मराठन सुशीला चरक (अब सलमा) से की थी और दूसरी ईसाई हेलन से। सलीम के दूसरे पुत्र अरबाज की शादी मलायका अरोड़ा से हुई और सबसे छोटे सोहेल की सीमा से। सलीम खान ने एक हिन्दू लड़की अर्पिता को भी गोद लिया हुआ है, जबकि उनकी बड़ी बेटी अलवीरा की शादी अतुल अग्निहोत्री से हुई है। सलीम खान के बंगले में ईद से लेकर गणेश चतुर्थी तक सभी त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं, जिसमें इनके तीनों पुत्र सलमान, अरबाज और सोहेल खान बढ़-चढ़ कर शिरकत करते हैं।
सलीम खान के जोड़ीदार जावेद अख्तर का पहला विवाह भी पारसी हनी ईरानी से हुआ था, जिनकी संतान फरहान और जोया अख्तर हैं। फरहान ने अपनी जीवन संगिनी हेयर ड्रेसर अधुना को बनाया, जो एक हिन्दू परिवार से है। शाहरुख खान को दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में पढ़ते हुए ही गौरी से प्यार हो गया था, मगर शादी के लिए उनके परिवार को मनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े। अंतत प्यार की जीत हुई। शाहरुख के बंगले मन्नत में होली-दीपावली, ईद से भी ज्यादा धूमधाम से मनाई जाती है।
राकेश रोशन के पड़ोस में रह रहे संजय खान ने शायद ही कभी सोचा होगा कि वह समधी बन जाएंगे। ऋतिक रोशन सुपर स्टार बनने से पहले ही अपना दिल संजय खान की बेटी सुजैन को दे चुके थे। कहो न प्यार है के हिट होते ही यह विवाह बंधन में बंध गए। आज दो पुत्रों के पिता हैं।
आमिर खान ने शादी का लड्डू दो बार चखा और दोनों बार उन्होंने हिन्दू पत्नी चुनी। रीना जुत्शी उनकी पहली पत्नी थीं, जिनके साथ 15 वर्षीय वैवाहिक जीवन बिताने के बाद उन्होंने एक पत्रकार किरन को अपनी जीवन संगिनी बनाया। पंकज कपूर की पहली शादी नीलिमा अजीम से हुई थी। दोनों स्टेज के साथी थे, प्रेम हुआ शादी हुई- शाहिद कपूर इन्हीं की संतान हैं। हालांकि बाद में इनका तलाक हो गया। बेहतरीन अदाकार नसीरूद्दीन शाह की पहली पत्नी मुस्लिम थीं, मगर ज्यादा निभी नहीं और पिछले बीस वर्षों से रत्ना पाठक के साथ सुखी वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं।
(यह लेख हिंदुस्तान के रीमिक्स में १५ जनवरी २०११ को प्रकाशित हुआ है)