I am a person, with a happy go lucky attitude. I am extremely positive and passionate person. I believe in good human relationship. I am fond of reading books on various subject. I also write as a freelancer in Hindi.
Thursday, September 3, 2009
नया लतीफा
मुल्ला को उसके एक दोस्त ने बताया की तुम्हारी बीबी हर रोज़ रात को तुम्हारे ही पिछवाडे तुम्हारे दोस्त से आधी रात को छुप छुप के मिलती है तो मुल्ला को गुस्सा आ गया। रात को एक बन्दूक ले कर मुल्ला अपने घर के पिछवाडे इंतज़ार में बैठ गया की आज ये नज़ारा हो और मैं दोनों को गोली से उढा दू । इंतज़ार करते करते सुबह होने को आयी तो मुल्ला को याद आया की उसकी तो अभी शादी ही नहीं हुई.
Thursday, June 4, 2009
एक शेर मुलाहिजा फरमाएं
कौन कहता है बुढापे में मुहब्बत का सिलसिला नहीं होता
आम भी रसीला नहीं होता जब तक पिलपिला नहीं होता
Sunday, May 17, 2009
Thursday, May 14, 2009
आज के चुटकुला
डॉक्टर दूसरे डॉक्टर से बोला - यार मैंने ओपरेशन एकदम सही समय पर कर दिया , वरना मरीज़ अपने आप ही ठीक हो जाता.
आज का चुटकुला
चौपटजी का पड़ोसी बोला- अरे यार चौपटजी, मेरा कुत्ता बीमार हो गया है क्या करुँ?
चौपटजी बोले -भाई मेरा कुत्ता बीमार हुआ था तो मैंने उसे पेट्रोल पिलाया था।
अगले दिन पड़ोसी रोते हुए आया बोला- चौपटजी, मेरा कुत्ता तो मर गया !
चौपटजी बोले -यार मर तो मेरा भी गया था .
चौपटजी बोले -भाई मेरा कुत्ता बीमार हुआ था तो मैंने उसे पेट्रोल पिलाया था।
अगले दिन पड़ोसी रोते हुए आया बोला- चौपटजी, मेरा कुत्ता तो मर गया !
चौपटजी बोले -यार मर तो मेरा भी गया था .
कविता
आज सुबह से पूर्व अचानक
उचटी नींद ब्रह्म वेला में
खिड़की से देखा तारों को
अपने चिरपरिचित प्यारों को
गिनती में कुछ कम दिखते थे
और थके दिखते थे जैसे
श्रोतागण संगीत सभा के
अन्तिम राग भैरवी छिड़ने से पहले
आह यही वेला है जिसने
मेरे मनभाते सपनों को
मधु गीतों का रूप दिया है
और यही घडियां हैं जिनमे
महा तृप्ति के वश हो मैंने
प्रेयसी का मुख चूम लिया है
गुपचुप गुपचुप ओस की बूँदें टपक रही थीं
अम्बर जैसे झूम रहा था
धरती जैसे झूम रही थी
शान्ति सृजन की इस वेला में
मुझको कविता सूझ रही थी
पर ये कुत्ते !
उफ़ ये कुत्ते!!
गलियों के आवारा कुत्ते
ज़ोर ज़ोर से लगे भोंकने
तार तार हो गयी कल्पना
जुड़ती कडियाँ लगी टूटने
कुत्ते क्यों दम तोड़ रहे हैं
शान्ति सृजन की इस वेला में
कुत्ते किसे भंभोड़ रहे हैं
जंगखोर इंसानों जैसे
और अंधे शैतानों जैसे
उफ़ ये कुत्ते पागल कुत्ते!
उचटी नींद ब्रह्म वेला में
खिड़की से देखा तारों को
अपने चिरपरिचित प्यारों को
गिनती में कुछ कम दिखते थे
और थके दिखते थे जैसे
श्रोतागण संगीत सभा के
अन्तिम राग भैरवी छिड़ने से पहले
आह यही वेला है जिसने
मेरे मनभाते सपनों को
मधु गीतों का रूप दिया है
और यही घडियां हैं जिनमे
महा तृप्ति के वश हो मैंने
प्रेयसी का मुख चूम लिया है
गुपचुप गुपचुप ओस की बूँदें टपक रही थीं
अम्बर जैसे झूम रहा था
धरती जैसे झूम रही थी
शान्ति सृजन की इस वेला में
मुझको कविता सूझ रही थी
पर ये कुत्ते !
उफ़ ये कुत्ते!!
गलियों के आवारा कुत्ते
ज़ोर ज़ोर से लगे भोंकने
तार तार हो गयी कल्पना
जुड़ती कडियाँ लगी टूटने
कुत्ते क्यों दम तोड़ रहे हैं
शान्ति सृजन की इस वेला में
कुत्ते किसे भंभोड़ रहे हैं
जंगखोर इंसानों जैसे
और अंधे शैतानों जैसे
उफ़ ये कुत्ते पागल कुत्ते!
Saturday, April 25, 2009
मेरी जिंदगी में शामिल दोस्त
मुझे यह कहने में कोई हर्ज़ नहीं है कि मैं आज अगर जिंदा हूँ तो इस के लिए मेरे दोस्त ही जिम्मेदार हैं । बचपन से जवानी तक मेरे दोस्तों ने मेरा भरपूर साथ दिया । हर दुःख सुख में वो मेरे साथ रहे । जीवन के हर मोड़ पर मुझे दोस्त हमसफ़र बन कर मिले । मेरे नायाब दोस्तों की फेहरिस्त में अनुज दुरेजा, मंजीत सिंह , त्रिलोक अगरवाल , विपिन गुप्ता, राजेश जैन, दिनेश हरभाजंका और हरिमोहन का नाम सबसे ऊपर रहेगा । कुछ दोस्त जो वक्त के साथ कुछ दूर चले गए हैं, उनमें जीतेन्द्र, देवेन्द्र, जगदीप, रमना और कमल शामिल हैं ।
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