आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत
अक़्ल वाले कम हैं दीवाने बहुत
साक़िया हम को मुरव्वत चाहिए
शहर में हैं वरना मयखाने बहुत
क्या तग़ाफ़ुल का अजब अन्दाज़ है
जान कर बनते हैं अंजाने बहुत
हम तो दीवाने सही नासेह मगर
हमने भी देखे हैं फ़रज़ाने बहुत
आप भी आएं किसे इनकार है
आए हैं पहले भी समझाने बहुत
ये हक़ीक़्त है कि मुझ को प्यार है
इस हक़ीक़त के हैं अफ़साने बहुत
ये जिगर, ये दिल, ये नींदें, ये क़रार
इश्क़ में देने हैं नज़राने बहुत
ये दयार-ए-इश्क़ है इसमें सहर
बस्तियाँ कम कम हैं वीराने बहुत
I am a person, with a happy go lucky attitude. I am extremely positive and passionate person. I believe in good human relationship. I am fond of reading books on various subject. I also write as a freelancer in Hindi.
Saturday, December 3, 2011
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