Saturday, January 21, 2012

पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइये
फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइये

पहले मिज़ाज-ए-राहगुज़र जान जाइये
फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइये

कुछ कह रही है आपके सीने की धड़कने
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइये

इक धूप सी जमी है निगाहों के आस पास
ये आप हैं तो आप पे क़ुर्बान जाइये

शायद हुज़ूर से कोई निस्बत हमें भी हो
आँखों में झाँक कर हमें पहचान जाइये

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