Tuesday, December 21, 2010

सत्कार और फूड फिट, तो वेडिंग सुपरहिट
सुबोध भारतीय
First Published:20-12-10 02:59 PM
Last Updated:20-12-10 03:00 PM
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शादी के आयोजन में सबसे पहला सवाल यह खड़ा होता है कि शादी किसी बैंक्वेट हॉल में हो, फाइव स्टार होटल में या पण्डाल में। इसका जवाब एकदम सीधा है-दो या तीन सौ मेहमानों की गैदरिंग के लिए बैंक्वेट हॉल ठीक रहते हैं। आपका बजट अच्छा है तो फाइव स्टार होटल्स चुन सकते हैं। यदि मेहमानों की संख्या पांच-छह सौ से अधिक है तो फार्म हाउस अथवा पण्डाल में आयोजन करना ठीक रहेगा।

पंडाल या बैंक्वेट हॉल आदि की सजावट में बहुत ध्यान देना चाहिए-खासकर फूलों की अच्छी सजावट से माहौल सुंदर और खुशनुमा लगने लगता है।

जयमाला

आजकल शादियों में जयमाला के दौरान रिवॉल्विंग स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन फूलों की वर्षा के बीच मालाओं का आदान-प्रदान करते हैं। इसी प्रकार दूसरा ट्रैन्ड इस प्रकार की स्टेज का है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन दोनों तरफ बनी स्वचालित सीढ़ियों से ऊपर आते हैं और नीचे बनी दो स्टेजों पर डांसरों की टोली उनका स्वागत करती है। फिर वे फूलों की वर्षा के बीच मालाओं का आदान-प्रदान करते हैं। पीछे आतिशबाजी के साथ दूल्हा-दुल्हन का नाम जल उठता है।

कैटेरिंग व्यवस्था

शादी की दावत में 100-150 आइटम होना अब आम बात हो गई है। यह एक सर्वमान्य सत्य है कि एक मेहमान औसतन 300 से 400 ग्राम तक ही खा सकता है। आजकल प्रति मेहमान 1 किलो से भी अधिक भोजन की व्यवस्था की जाती है, नतीजतन 50 से 60 प्रतिशत खाना वेस्ट हो जाता है। दिल्ली की शादियों में नॉर्थ इंडियन फूड के साथ राजस्थानी, मुगलई, लखनवी, चाइनीज, साउथ इंडियन, थाई, इटैलियन, मैक्सिकन के साथ ढाबा फूड भी पेश किया जा रहा है। लाइव किचन आज का लेटेस्ट ट्रैंड है। तवा सब्जी, तवा रोटी, ढाबा दाल, तड़का दाल, पास्ता आदि सभी लाइव किचन पर उपलब्ध होता है।

स्नैक्स में अब नयापन लाने के लिए मुरादाबाद, इंदौर, राजस्थान, मुंबई के विशेष स्नैक्स काउंटर लाए जा रहे हैं। मोमोज, स्वीट कॉर्न, दौलत की चाट, ढोकला चाट, फ्लेवर्ड हुक्का आदि लेटेस्ट ट्रैंड है। पीत्जा हट और डॉमिनोज जैसे ब्रांड्स के स्टॉल भी लगाये जाने लगे हैं।

फ्रैश फ्रूट चाट आजकल का पार्टियों का जरूरी हिस्सा हैं। इसमें देसी के साथ विदेशी फ्रूट्स की बहुतायत रहती है। बादाम, खजूर, छुआरे तथा इमली इनमें लेटेस्ट एडीशन हैं। ड्रिंक्स में कैफे कॉफी डे या कोस्टा कॉफी जैसे ब्रांड्स के स्टॉल लगाये जाने लगे हैं। डेजर्ट्स में अब चार-पांच तरह के हलवे के साथ रसमलाई, राज भोग, छैना पाइस, खीर के साथ छैने की अनगिनत मिठाइयां, गजक रेवड़ी के साथ केक, पेस्ट्रीज, टारटर भी पेश किए जाने लगे हैं। आइसक्रीम के दसियों फ्लेवर तो होते ही हैं, कुल्फी की भी अनेक वैरायटी उपलब्ध होती हैं।

मेहमाननवाजी के फॉर्मूले

आने वाले हर मेहमान का स्वागत पर्सनली करने का प्रयास करे। यह कभी न भूलें कि फंक्शन भले ही आपका है, इसकी रौनक मेहमानों से ही है।

विदा होते हुए मेहमानों से पूछें कि उन्होंने भोजन किया अथवा नहीं, उनके आने के लिये उन्हें धन्यवाद दें। आपके ऐसा करने से उन्हें फंक्शन के दौरान कोई असुविधा भी हुई होगी तो वह भूल जाएंगे।

अपने फंक्शन में कोई वीआईपी गेस्ट बुलाया है तो उसके चक्कर में अन्य मेहमानों को न भूलें। वीआईपी गेस्ट से जल्द छुटकारा पा लें या उसे किसी ऐसे परिजन के हवाले कर दें जो उसकी खातिर-तवज्जो करता रहे।

अपने विशिष्ट व करीबी मेहमानों के साथ सानुरोध फोटो खिंचवाएं और उसकी एक प्रति उन्हें भी प्रेषित करें। उन्हें आपका यह अंदाज अच्छा लगेगा।

शादी के सारे कार्यक्रम निबट जाने के बाद आये हुए मेहमानों की सूची बनायें और उन्हें एक धन्यवाद पत्र लिखें, विशेष कर बाहर से आये मेहमानों को।

शादी के सारे कार्यक्रम में घर व ऑफिस के कुछ कर्मचारियों और साथियों का परदे के पीछे और सामने काफी सहयोग रहता है। ऐसे सहयोगियों की सेवाओं को नजरअंदाज न करें, उन्हें सपरिवार सादर निमंत्रित करें और हो सके तो उन्हें कोई यादगार तोहफा भी बाद में दें।

शादी के आयोजन के बाद भाजी या मिठाई बांटना एक भारी बोझ लगता है, इसलिये मेहमानों को विदा करते समय ही यह काम निबटा लें।

यह कभी न भूलें कि शादी का आयोजन एक खुशी का मौका होता है, इस मौके का लाभ उठा कर रूठे रिश्तेदारों, दोस्तों को मनाएं। अप्रिय वाद-विवाद, मनमुटावों को भुला कर पूरी मस्ती से समारोह का आनंद उठाएं।

कैसी हो कैटरिंग

यदि आप पार्टी में नॉन-वेज फूड का इंतजाम कर रहे हैं तो वेजिटेरियन मेहमानों को नजरअंदाज न करें। उनके लिए थोड़ा दूर अलग इंतजाम करें, अरीब-करीब नहीं।

यदि आपने कॉकटेल का इंतजाम किया है तो उसके चक्कर में अन्य मेहमानों का डिनर लेट न करें। उनका भी ख्याल करें। डिनर सही समय पर शुरू करा दें।

कैटेरिंग की व्यवस्था करते समय इस बात पर ज्यादा ध्यान न दें कि आइटम ज्यादा हों, बल्कि यह देखें कि आइटम खाने योग्य हों और खाने वाला उनका भरपूर आनंद ले सके।

कैटेरिंग की व्यवस्था एक अच्छे कैटेरर को सौंपने के बाद किसी जिम्मेदार व्यक्ति को भी यह जिम्मा दें कि वह एक-एक आइटम टेस्ट करके देखे कि उसमें कोई कमी तो नहीं है।

यदि प्रति प्लेट खाने का इंतजाम किया गया है तो दावत शुरू होने से पहले प्लेटों की गिनती कर लें और एक करीब व्यक्ति को जिम्मेदारी सौंपें कि वह उस पर दूर से नजर रखे कि कोई गड़बड़ी न हो।

चाट या स्नैक्स के कुछ स्टॉल्स पर भीड़-सी लगने की संभावना रहती है। ऐसे स्टॉल्स पर ऐसी व्यवस्था पहले से करें कि भीड़ न लगने पाए।

Friday, December 17, 2010

शादी के कार्डस भी कहते हैं बहुत कुछ
सुबोध भारतीय
First Published:06-12-10 12:45 PM
Last Updated:06-12-10 12:46 PM
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आप किस लेवल की शादी करने जा रहे हैं। इसका काफी कुछ पता शादी कार्ड देख कर लग जाता है। यही वजह है कि शादी कार्डस की वैरायटी दिन-प्रतिदिन बढ़िया होती जा रही है। भारत की सबसे बड़ी शादी कार्ड मार्केट चावड़ी बाजार में 5 रुपये से लेकर 150 रुपये तक के शादी कार्ड उपलब्ध हैं। यदि आप इससे ऊपर की रेंज में जाना चाहें तो लुधियाना के फव्वारा चौक जाना होगा। यहां 50 रुपये से रेंज शुरू होकर 500 रुपये प्रति कार्ड तक जाती है। यदि आप इसके साथ मिठाई या भाजी का मैचिंग बॉक्स साथ लें तो यह रेंज 150 से लेकर 1000 रुपये तक चली जाएगी।

सबसे सस्ते कार्ड ऑफसेट प्रिंटिंग से बने होते हैं। स्क्रीन प्रिंटिंग, लीफ प्रिंटिंग और यूवी प्रिंटिंग महंगी तकनीक हैं। आजकल सभी अच्छे शादी कार्डों में इन्हीं का इस्तेमाल हो रहा है। दूल्हा-दुल्हन के नाम का लेजर कट में लोगो भी बनाया जा रहा है। मैटेलिक पेपर, साटन फैब्रिक व मैटल का भी इन शादी कार्डों में अच्छा इस्तेमाल किया जा रहा है।

शादी कार्ड के साथ मैचिंग स्वीट बॉक्स और पेपर बैग आजकल का लेटेस्ट ट्रैंड है। शादी के बाद लोगों के घर भाजी या मिठाई पहुंचाना आउट डेटेड हो गया है। इसकी बजाय लोग एडवांस में शादी कार्ड के साथ ही भाजी इत्यादि दे देते हैं। कुछ लोग शादी के समय अपने मेहमानों को विदा करते समय यह कार्य करने लगे हैं।

(यह लेख हिंदुस्तान के दिसंबर के अंक में प्रकाशित हुआ है)

वेडिंग सीजन: बैंड बाजे की शान है बारातियों की जान
सुबोध भारतीय
First Published:06-12-10 12:40 PM
Last Updated:06-12-10 12:44 PM
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आपके प्रियजन का रिश्ता तय हो गया। अब बारी है बारात की तैयारी की। बारात के साथ शानदार घोड़ी या बग्घी में सजा दूल्हा और सामने बैंड और ढोल की धुन पर मस्ती से नाचते बाराती। इससे शानदार नजारा शायद ही किसी अन्य देश की शादियों में देखने को मिलता है। ढोल पर होता भांगड़ा, गिद्दा तथा बैंड की धुन पर ट्विस्ट करते बाराती शादी की मस्ती को चरम सीमा पर पहुंचा देते हैं।

शादी की डेट और वेन्यू तय होते ही लड़के वालों को सबसे पहले बैंड आदि की बुकिंग करा लेनी चाहिए। शादी के बाजार में शायद यही ऐसे लोग हैं, जिनके कोई फिक्स रेट नहीं हैं। बैंड वाले अपने रेट इस बात से तय करते हैं कि आप उनसे कितने आदमियों का बैंड लेंगे और सीजन से कितना पहले आप इन्हें बुक कर रहे हैं। जैसे-जैसे सीजन करीब आता जाएगा, इनके रेट बढ़ते जाएंगे। दिल्ली स्टेट बैंड एसोसिएशन के सचिव व मास्टर बैंड के प्रमुख संजय शर्मा के अनुसार- ‘दिल्ली में सालभर में शादियों के मुहूर्त्त कुल 30 से 35 तक ही होते हैं और बैंड बजाने वाले कलाकार भी लिमिटेड ही हैं, ऐसे में सीजन के समय आदमियों के रेट बढ़ जाते हैं।’

पहले बैंड वाले और घोड़ी, लाइट्स और बग्घी वाले अलग हुआ करते थे। आजकल बैंड वाले ही सारी पार्टियों के साथ तालमेल बना कर काम करते हैं।

बैंड पार्टी 11, 21 या 31 आदमियों की होती है। इसका खर्चा प्रति व्यक्ति 500 रुपये तक आता है, जो सीजन करीब आने पर दोगुना हो जाता है। अच्छी बैंड पार्टी हर सीजन में नई वर्दियां और धुनें तैयार करती हैं और बुकिंग पार्टी को इसकी चॉइस भी देती हैं। बुकिंग में घुड़चड़ी और विदा का काम भी शामिल रहता है। फिर भी बुकिंग करते समय यह बातें खोल लें। इनका कुल खर्चा 11,000 से लेकर 31,000 रुपये तक आता है।

घोड़ी का खर्चा 1000 से 3,000 तक और 2 घोड़ों वाली बग्घी की बुकिंग तो 5000 रुपये में हो जाती है, मगर बग्घी पर होने वाली फूलों की सजावट का खर्चा अलग होता है। लोग अपने टेस्ट के अनुसार 5000 से 20000 रुपये तक की फूलों की सजावट करवाते हैं। ढोल मास्टर 500 से 1000 रुपये तक में बुक हो जाता है। लाइटिंग में जैनेरेटर के साथ 4000 से 10,000 रुपये तक का रेट चल रहा है। इनमें भी आदमियों की गिनती के हिसाब से रेट होते हैं।

(यह लेख हिंदुस्तान के दिसंबर के अंक में प्रकाशित हुआ है)

ताकि शादी हो पिक्चर परफेक्ट
सुबोध भारतीय
First Published:14-12-10 05:06 PM
Last Updated:14-12-10 05:07 PM
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शादी तय होने के बाद दूल्हा-दुल्हन के करीबी लोग तो शादी के आयोजन में जुट जाते हैं, मगर दूल्हा-दुल्हन के जिम्मे सबसे बड़ा काम रह जाता है-अपने लिए परिधान के चयन का। दोनों चाहते हैं कि इस शुभ मौके पर अपने करीबी और मेहमानों के बीच ऐसी पोशाक पहनें, जिससे उनका अंदाज और टेस्ट उसमें झलके और उनकी शादी के दिन सबकी नजर बस उन दोनों पर टिकी रहे। आइए जानें, आजकल क्या नया चल रहा है वेडिंग फैशन में:

दूल्हे की पोशाक और एक्सेसरीज

नब्बे के दशक से दूल्हों की मुख्य ड्रेस शेरवानी बन गई है। कल्पना कीजिए दूल्हा एक नॉर्मल सूट पहने है और उसके साथ दुल्हन एक भारी-भरकम लहंगा पहने खड़ी है। यह मिस मैच हो जाएगा, इसलिए शेरवानी दूल्हे के लिए उतनी ही महत्त्वपूर्ण बनती जा रही है, जितना दुल्हन के लिए लहंगा।

दिल्ली के प्रसिद्ध ग्रूम फैशन रिटेल चेन दीवान साहब के सुमित दीवान के अनुसार, ‘अब शेरवानी के बिना दूल्हे की कल्पना भी मुश्किल है।’ शेरवानी में क्रीम, फॉन, गोल्डन जैसे शेड्स प्रचलन में हैं। इनमें जरदोजी, ऊसरी और स्टोन का काम किया जाता है। साटन फैब्रिक इस समय ट्रैंड में है। वैसे फोर वूल, सिल्क और पॉलिस्टर की भी शेरवानियां बनवाई जा रही हैं। अगर आपके पास पैसे और समय की कमी नहीं है तो आप अपनी मर्जी का ऐसा कपड़ा भी बनवा सकते हैं, जिसमें आपका नाम बुना गया हो या आपका अपना पसंदीदा डिजाइन उस पर बना हो। अगर आप अपना यह शौक पूरा करना चाहते हैं तो आपको ज्यादा पैसा खर्च करने के लिए भी तैयार रहना होगा। शेरवानी की प्राइज रेंज 12,000 रुपये से शुरू होकर दो लाख रुपये तक है। महंगी शेरवानियों में डायमंड का भी इस्तेमाल किया जाता है। कुछ नया स्टाइल पहनने की इच्छा रखने वालों के लिए इंडो-वेस्टर्न एक अच्छा विकल्प है। इसमें शेरवानी की ऊंचाई छोटी कर दी जाती है और साथ में कम मोरी वाली पैंट पहनी जाती है। इसकी प्राइज रेन्ज भी शेरवानी के मुकाबले कम होती है। यह बारह हजार से नब्बे हजार के बीच उपलब्ध है। शेरवानी और इंडो-वेस्टर्न में एक दूसरा फर्क यह है कि शेरवानी के साथ जूतियां पहनी जाती हैं, जबकि इंडो-वेस्टर्न के साथ जूते। कुछ वेडिंग स्टोर्स इंडो-वेस्टर्न में फर्नीशिंग फैब्रिक भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

दूल्हे के परिधान के साथ अन्य चीजें मिल कर उसकी पूरी रौनक बनाती है, जैसे जूतियां, सेहरा आदि। शेरवानी के कपड़े का इस्तेमाल करके मैचिंग जूतियां बनाई जाती हैं। इनमें बिना तुर्रे और तुर्रेदार जूतियों के अलावा पिशौरी जूतियां भी फैशन में हैं। पिशौरी जूतियां पीछे से खुली होती हैं, जिससे दूल्हे को आराम रहता है। जूतियों में वैसे राजस्थानी स्टाइल ही चलता है। जूतियों के अलावा सेहरे पर लगने वाली कलगी भी दूल्हे की रौनक बढ़ाती है। इसकी प्राइज रेंज 200 रु. से 1200 रु. तक होती है। इंडो-वेस्टर्न ड्रेस के साथ प्वॉइंटेड शूज लेटेस्ट ट्रेंड है। जूतियों की प्राइज रेंज 1400 से 3000 तक है, जबकि सेहरा 3100 से 11000 रुपये तक मिल जाता है।

दुल्हन के लिए खास

दुल्हन की ड्रेस पूरी शादी में आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र होती है। किसी भी दुल्हन की हसरत होती है शादी का खूबसूरत जोड़ा। बॉम्बे सेलेक्शन के प्रदीप सूरी के अनुसार दुल्हन के लहंगे के कई विकल्प आजकल की शादियों में नजर आते हैं। क्रेप, नेट, जॉर्जेट और डय़ूपिन सिल्क के फैब्रिक हैं, जो लहंगा बनाने में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। दुल्हन पर लाल रंग ही फबता है। यही वजह है कि लाल, मेरून, मजेंटा और गाजरी रंग कभी फैशन से आउट नहीं होते। यदि दुल्हन कुछ अलग रंग पहनना चाहे तो पिंक और फिरोजी रंग चुने जा सकते हैं। इन लहंगों पर डायमंड, स्टोन्स, सीक्वेन्स और गोटा पट्टी का काम होता है। जरदोजी और कटवर्क भी ट्रैंड में हैं।

लहंगे दुल्हन की पसंद और शरीर की बनावट के अनुसार तैयार किए जाते हैं। इन दिनों तीन तरह के कट ट्रैंड में हैं- फिश कट, ए कट और अम्ब्रेला कट। फिश में लहंगा बॉडी की बनावट के अनुसार बनाया जाता है, ए-कट वाला लहंगा ऊपर से फिट और नीचे से खुला होता है। अम्ब्रेला कट में घुमावदार बड़ा-सा लहंगा होता है, जो राजस्थानी अंदाज में बना होता है। फ्रंटियर बाजार के प्रवीन शर्मा के अनुसार लहंगे की रेन्ज 30,000 से शुरू होकर 5-6 लाख तक जा सकती है।

(यह लेख हिंदुस्तान के १४ दिसंबर के अंक में प्रकाशित हुआ है)

Wednesday, December 1, 2010

प्लानिंग मस्त, वेडिंग मदमस्त
सुबोध भारतीय
First Published:29-11-10 01:02 PM
Last Updated:29-11-10 01:04 PM

First Published: 29-11-10 01:02 PMLast Updated:29-11-10 01:04 PM

सुबोध भारतीय
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हमारे देश में शादी-ब्याह का आयोजन एक ऐसे फेस्टिवल की तरह होता है, जो कई दिनों तक चलता है। शादी के आयोजन का मतलब ही उत्साह, उल्लास और आनंद होता है और यह मजा लेने के लिए आपको सही प्लानिंग करनी होगी। कैसे करें प्लानिंग, बता रहे हैं सुबोध भारतीय
रिश्ते की शुरुआत
किसी भी शादी की शुरुआत लड़का-लड़की को पसंद करवा कर संबंध जोड़ने से होती है। पहले आपसी लोगों के संबंध और संपर्कों के माध्यम से यह काम होता था, अब शादी व रिश्तों की वेबसाइट्स और अखबारों में मेट्रोमोनियल विज्ञापनों के जरिये रिश्ते ढूंढ़े जा रहे हैं। नेट से लड़का-लड़की के प्रोफाइल व फोटोज का आदान-प्रदान करना काफी सुविधाजनक हो गया है। सोशल नेटवर्किग साइट्स के जरिये भी यह काम हो रहा है।
रिश्ते को आगे बढ़ाने की अगली सीढ़ी लड़का-लड़की को आपस में मिलवा कर पसंद करवाने की है। इसके लिए स्थान का चयन महत्त्वपूर्ण है। पहले लड़की दिखाने के लिए मंदिर और पार्कों का इस्तेमाल होता था, अब इसकी जगह रेस्टोरेंट अथवा मॉल्स के फूड कोर्ट ने ले ली है। यहां दोनों के परिवारीजन आराम से बैठ कर एक दूसरे से परिचय बढ़ाते हैं और लड़का-लड़की को अलग टेबल पर तसल्ली से बातचीत करने के लिए छोड़ देते हैं। ऐसे में मेजबानी का दायित्व लड़की वाले ही उठाते हैं। कन्या पक्ष को हमारा सुझाव है कि वह मेहमानों की खातिरदारी दिल से करें, मगर इतना ज्यादा और आग्रहपूर्वक न करें कि वर पक्ष को उसका दबाव महसूस हो और वह सहज अनुभव न कर पाएं। इसी प्रकार वर पक्ष को चाहिए कि इस पहली मुलाकात में कन्या पक्ष का कम से कम खर्चा करवायें, ताकि यदि उन्हें इस रिश्ते से इंकार भी करना पड़े तो झिझक न हो। रिश्ता तय करते समय लड़का ही नहीं, लड़की से भी खुल कर सहमति लेनी आवश्यक है, आखिर दोनों को जीवनभर साथ निभाना है। दोनों की सहमति मिल जाने पर परिवारीजन लड़का या लड़की से अलग से बातचीत करके अपनी तसल्ली करें।
रिश्ता तय होने के बाद
लड़का-लड़की पसंद हो जाने के बाद सबसे पहला कार्य शादी की शुभ तारीख तय करने का होता है। इसमें दोनों पक्षों को अपने-अपने पंडितों आदि की राय ले लेनी चाहिए। यदि शुभ मुहुर्त्त एक से अधिक तारीखों का हो तो ऐसी तारीख चुनें, जिसमें ज्यादा शादियां न हों, क्योंकि ऐसा होने पर मेहमानों की संख्या कम रह जाती है। और ऐसे दिनों में सड़कों पर भी भीड़ अधिक होने से मेहमानों को आने में असुविधा भी होती है।
विवाह की तारीख तय हो जाने पर कुछ कार्य आपको सबसे पहले निबटाने होंगे, जैसे शादी के समारोहों के वेन्यू की बुकिंग, क्योंकि दिल्ली में आबादी बढ़ने के साथ ही अब अच्छे फार्म हाउस, बैंक्वेट हॉल्स और पंडालों की बुकिंग मुश्किल और महंगी होती जा रही है। देर से बुकिंग करने पर आपके पास च्वाइस ही नहीं रह जाती, इसलिए तारीख तय होते ही सबसे पहले वेन्यू की बुकिंग का कार्य करें।
इसी प्रकार से बैंड बाजे, ढोल, घोड़ी, बग्घी आदि की भी बुकिंग जल्द से जल्द करा लेनी चाहिए। क्योंकि जैसे-जैसे शादियों का सीजन करीब आने लगता है, इनके दाम भी दिन दूने रात चौगुने बढ़ने लगते हैं।
इसके बाद आप अपने उन मेहमानों की लिस्ट बनाएं, जिन्हें आप शादी में बुलायेंगे। इन्हें चार भागों में बांट लें- 1. रिश्तेदार, 2. मित्र, 3. पड़ोसी, 4 व्यवासायिक सहयोगी।
ऐसा करने से आप सभी मेहमानों की लिस्ट कवर कर पाएंगे। दूर-दराज से आने वाले रिश्तेदारों-मेहमानों को कार्ड छपने से पहले ही सूचना दे दें, ताकि वे अपनी तैयारी समय से कर सकें। उनके आगमन की पुष्टि भी अवश्य कर लें, ताकि आप उनके ठहरने आदि की उचित व्यवस्था कर पायें। मेहमानों की लिस्ट बनाते समय उनके आगे आने वाले संभावित सदस्यों की संख्या भी लिखते जाएं, ताकि आपको अपने मेहमानों की उचित संख्या का अंदाजा हो जाए। ऐसा करने से आपको व्यवस्था करने में बहुत आसानी होगी।
रिश्ता तय करते समय क्या देखें
यदि रिश्ता तय करते समय दोनों पक्षों को भली प्रकार जानने वाला व्यक्ति मध्यस्थ हो तो बेहतर होगा। दोनों पक्ष एक दूसरे पर भरोसा रख पाएंगे।
नेट या अखबार के विज्ञापनों के जरिये रिश्ता करने से पहले अड़ोस-पड़ोस से परिवार के बारे में जानकारी अवश्य लें। वैसे कई प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां भी दस से पंद्रह हजार रुपये लेकर यह जानकारी उपलब्ध कराती हैं।
लड़की दिखाने से पहले वर पक्ष का घर देखना चाहिए कि जिस घर में लड़की जाकर रहेगी, वह उनके स्तर और पसंद का है अथवा नहीं।
लड़की को प्राइवेट में पहली बार देखते समय वर पक्ष सिर्फ उन्हीं लोगों को लेकर जाए, जिनकी राय इस रिश्ते को कराने में मायने रखती है।
कन्या पक्ष लड़की दिखाते समय अनावश्यक दिखावा न करे और न ही कोई ऐसा झूठ बोले, जिसे आगे निभाना मुश्किल हो। मेहमाननवाजी भी हैसियत के अनुसार करें।
लड़की को चाहे वेस्टर्न कपड़े पहनाएं अथवा साड़ी-सूट, मगर वे सुरुचिपूर्ण होने चाहिए। अनावश्यक हैवी मेकअप न करवाएं।
लड़का-लड़की को स्वतंत्र रूप से बात करने के लिए अलग से स्थान व भरपूर समय दें।
लड़की या लड़के से परिवारीजन अनावश्यक सवाल-जवाब करके उन्हें असहज न करें। रेस्तरां या पब्लिक प्लेस पर बैठे हुए ऐसे स्वर में बात न करें कि आस-पास बैठे लोगों का ध्यान आप पर ही लगा रहे।
रिश्ते पर पूर्ण सहमति मिलने से पूर्व यदि लड़का-लड़की एक बार फिर मिलना चाहें तो उन्हें ऐसा करने दें।
यदि आप जन्मपत्री आदि मिलाने में यकीन रखते हैं तो यह कार्य लड़का-लड़की देखने से पहले ही कर लें।
लड़का-लड़की में से यदि कोई मांगलिक है तो यह बात पहले बता देनी चाहिए। बाद में पता चलने पर मन में वहम आते हैं तथा रिश्तों में खटास पैदा हो सकती है।
लड़का-लड़की को एक दूसरे की पसंद जान लेना भी आवश्यक है। उदाहरणार्थ लड़का घूमने-फिरने का शौक रखता है और लड़की को घर में रहना पसंद है तो आगे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाना मुश्किल हो सकता है।
लड़का-लड़की का कोई भी शारीरिक दोष या बीमारी भी पहले से खुल कर बता देनी चाहिए। बाद में यह बात खुलने पर रिश्तों में कड़वाहट या तनाव पैदा हो सकता है।
लड़कों के ड्रिंक करने या नॉनवेज खाने की बात पहले ही बता देनी चाहिए। कई लड़कियां ड्रिंक करने वाले लड़कों के साथ असहज महसूस करती हैं और शादी के बाद ऐसे लोगों के सोशल सर्कल में मूव नहीं कर पातीं।