Friday, November 25, 2011

राम गोपाल भारतीय


तेरा ख़याल जो मेरा ख़याल हो जाए
तो ख़त्म तेरा-मेरा हर सवाल हो जाए

जुड़े हो काश हमारे-तुम्हारे दिल ऐसे
सितम हो तुझपे मेरी आँख लाल हो जाए

किसी अमीर की ख़ुशियों से ऐतराज़ नहीं
ख़ुशी ग़रीब की भी तो बहाल हो जाए

न चाँद तारे न सूरज की ज़रूरत है मुझे
मेरे चिराग़ की बस देखभाल हो जाए

मै अपने ख़ून की स्याही से इन्क़लाब लिखूँ
ख़ुदाया मेरी क़लम इक मशाल हो जाए

ख़ुदा के वास्ते इतना भी तुम करम न करो
मै बेकमाल रहूँ और कमाल हो जाए

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