Friday, November 25, 2011

Hastimal Hasti

औरों का भी ख़्याल कभी था अभी नहीं
इंसान इक मिसाल कभी था अभी नहीं

पत्थर भी तैर जाते थे तिनकों की ही तरह
चाहत में वो कमाल कभी था अभी नहीं

क्यों मैंने अपने ऐब छिपा कर नहीं रखे
इसका मुझे मलाल कभी था अभी नहीं

क्या होगा कायनात का गर सच नहीं रहा
हर दिल में ये ख़्याल कभी था अभी नहीं

क्यों दूर-दूर रहते हो पास आओ दोस्तों
ये ‘हस्ती’ तंग-हाल कभी था अभी नहीं

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