Monday, February 13, 2012

गीता हूँ कुरआन हूँ मैं
मुझको पढ़ इंसान हूँ मैं

ज़िन्दा हूँ सच बोल के भी
देख के ख़ुद हैरान हूँ मैं

इतनी मुश्किल दुनिया में
क्यूँ इतना आसान हूँ मैं

चेहरों के इस जंगल में
खोई हुई पहचान हूँ मैं

खूब हूँ वाकिफ़ दुनिया से
बस खुद से अनजान हूँ मैं

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