Wednesday, November 10, 2010

कौन हैं बच्चों के रोल मॉडल्स
सुबोध भारतीय
First Published:10-11-10 05:08 PM
Last Updated:10-11-10 05:40 PM
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11वीं के स्टूडेंट अर्जुन बग्गा अपना रोल मॉडल आमिर खान को मानते हैं। ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर बच्चों में बहुत अच्छी तरह कनेक्ट कर पाते हैं। लगान, तारे जमीन पर और थ्री ईडियट्स में बच्चों को प्रेरित करने के लिए बहुत कुछ था, जो कि दिलचस्प तो था ही, बहुत आसान तरीके से समझाया भी गया था। अजरुन का कहना है-आमिर भले ही कम फिल्में करते हों, मगर उनकी फिल्में मीनिंगफुल और मनोरंजक होती हैं। फिल्म के हीरो आमिर खान को अपनी जिंदगी का हीरो मानने में कोई हर्ज नहीं गर्व होता है।

भारतरत्न डॉ. अब्दुल कलाम भी बहुत-से बच्चों के रोल मॉडल हैं। एक मछुआरे के बेटे कलाम की जिंदगी एक छोटे-से गांव से शुरू हुई थी। अपनी लगन, योग्यता और मेहनत के बल पर वह देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिक बने। राष्ट्रपति बनने के बाद बच्चों से ज्यादा जुड़े और सभी बच्चों में लोकप्रिय हो गए। अपने कार्यकाल में तीन लाख स्कूली बच्चों से मिलकर उन्होंने भारत के भविष्य को एक नई संभावना और सोच दी। कलाम अंकल की बच्चों-जैसी मासूम हंसी और सादगी हर बच्चों को अच्छी लगती है।

सचिन तेंदुलकर ऐसे खिलाड़ी हैं, जो देश के ही नहीं, विदेश के भी लाखों बच्चों के रोल मॉडल बने हुए हैं। सचिन की स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं हो पाई थी कि उन्हें बड़े बच्चों के बीच झोंक दिया गया। सचिन ने यह इम्तिहान तो पास किया, मगर अपने बचपन को खोकर।

11वीं कक्षा के छात्र कौशल को सचिन अपने रोल मॉडल इसलिए लगते हैं, क्योंकि उन्होंने सफलता के शिखर को छूकर भी अपनी शालीनता और गरिमा को बखूबी बनाए रखा है। कभी विवादों में नहीं पड़े। कौशल को बड़ा गर्व होता है जब विम्बलडन के मैदान में सचिन की उपस्थिति की घोषणा होते ही उनके सम्मान में सारे दर्शक खड़े होकर तालियां बजाते हैं। यही सम्मान सचिन ने अपने खेल और गरिमामय व्यवहार से सारी दुनिया की विपक्षी टीमों से भी हासिल किया है।

ऑस्कर जीतकर भारत की शान बढ़ाने वाले संगीतकार एआर रहमान के पिता का निधन उस समय हो गया था जब वह सिर्फ 16 वर्ष के थे। अपने घर को चलाने का बोझ रहमान के नाजुक कंधों पर आ गया। मगर रहमान ने यह बोझ बखूबी उठाया ही नहीं, अपितु अपनी बेजोड़ प्रतिभा से संगीत की दुनिया की परिभाषा ही बदल डाली। यही वजह है कि रहमान आज हजारों-लाखों बच्चों के रोल मॉडल बन चुके हैं। सचिन की ही तरह वह शर्मीले और सिम्पल हैं।

कृतिका गुप्ता को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने रोल मॉडल लगते हैं, जो एक राजनेता न होकर भी एक काबिल और कुशल प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री की योग्यता और सादगी अपने आप में एक मिसाल है। मनमोहन सिंह संभवत: विश्व के एक मात्र प्रधानमंत्री हैं, जो अर्थशास्त्री भी हैं। और यह हमारा सौभाग्य है कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास इनके सुरक्षित हाथों में है।

9वीं कक्षा की छात्र प्रिया बत्रा को ब्यूटी और सक्सेस का अद्भुत कॉम्बिनेशन दिखता है-ऐश्वर्या राय बच्चन में। मिस वर्ल्ड बनने के बाद जिस तरह ऐश्वर्या ने खुद को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया, वह एक मिसाल है। फिर अपनी अभिनय क्षमता और सुंदरता के बल पर अंतरराष्ट्रीय स्टार बनीं और कई विदेशी फिल्मों में हीरोइन बन देश का नाम ऊंचा किया।

कनिष्क हरभजनका को अमिताभ बच्चन अपने रोल मॉडल लगते हैं। कनिष्क के अनुसार, 68 वर्षीय अमिताभ में युवाओं से भी ज्यादा जोश बरकरार है। उनकी अभिनय क्षमता और गरिमामय उपस्थिति सभी को इम्प्रेस करती है। शायद यही वजह है कि यह बुजुर्ग अभिनेता यंग जनरेशन का रोल मॉडल हैं।

कम्युनिकेशन और टैक्नोलॉजी के इस युग में दुनिया तेजी से सिमटकर करीब आती जा रही है। कोई आश्चर्य ही बात नहीं कि आज बच्चों के रोल मॉडल स्वदेशी ही नहीं विदेशी आइकॉन्स भी बन गए हैं। दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार किए जाने वाले बिल गेट्स और वॉरेन बफेट की अकूत संपत्ति से ज्यादा उनका उस संपत्ति के अधिकांश हिस्से को दान और समाज कल्याण के लिए बांटना, इम्प्रेस करता है।

दोस्तों, हमारे जो रोल मॉडल्स हैं, उनकी कहानी विपरीत परिस्थितियों से जूझकर ऊपर उठने की है। चाहे ए।आर. रहमान हों, अब्दुल कलाम या मनमोहन सिंह। इनका बचपन कठिन परिस्थितियों में बीता। ये मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे। सच्चे हीरो वही होता है, जो जूझकर, फाइट करके विनर बनता है और दुनिया पर छा जाता है।

( यह लेख दैनिक हिंदुस्तान के ११ नवम्बर के अंक में प्रकाशित हुआ है)

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