Friday, December 17, 2010

वेडिंग सीजन: बैंड बाजे की शान है बारातियों की जान
सुबोध भारतीय
First Published:06-12-10 12:40 PM
Last Updated:06-12-10 12:44 PM
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आपके प्रियजन का रिश्ता तय हो गया। अब बारी है बारात की तैयारी की। बारात के साथ शानदार घोड़ी या बग्घी में सजा दूल्हा और सामने बैंड और ढोल की धुन पर मस्ती से नाचते बाराती। इससे शानदार नजारा शायद ही किसी अन्य देश की शादियों में देखने को मिलता है। ढोल पर होता भांगड़ा, गिद्दा तथा बैंड की धुन पर ट्विस्ट करते बाराती शादी की मस्ती को चरम सीमा पर पहुंचा देते हैं।

शादी की डेट और वेन्यू तय होते ही लड़के वालों को सबसे पहले बैंड आदि की बुकिंग करा लेनी चाहिए। शादी के बाजार में शायद यही ऐसे लोग हैं, जिनके कोई फिक्स रेट नहीं हैं। बैंड वाले अपने रेट इस बात से तय करते हैं कि आप उनसे कितने आदमियों का बैंड लेंगे और सीजन से कितना पहले आप इन्हें बुक कर रहे हैं। जैसे-जैसे सीजन करीब आता जाएगा, इनके रेट बढ़ते जाएंगे। दिल्ली स्टेट बैंड एसोसिएशन के सचिव व मास्टर बैंड के प्रमुख संजय शर्मा के अनुसार- ‘दिल्ली में सालभर में शादियों के मुहूर्त्त कुल 30 से 35 तक ही होते हैं और बैंड बजाने वाले कलाकार भी लिमिटेड ही हैं, ऐसे में सीजन के समय आदमियों के रेट बढ़ जाते हैं।’

पहले बैंड वाले और घोड़ी, लाइट्स और बग्घी वाले अलग हुआ करते थे। आजकल बैंड वाले ही सारी पार्टियों के साथ तालमेल बना कर काम करते हैं।

बैंड पार्टी 11, 21 या 31 आदमियों की होती है। इसका खर्चा प्रति व्यक्ति 500 रुपये तक आता है, जो सीजन करीब आने पर दोगुना हो जाता है। अच्छी बैंड पार्टी हर सीजन में नई वर्दियां और धुनें तैयार करती हैं और बुकिंग पार्टी को इसकी चॉइस भी देती हैं। बुकिंग में घुड़चड़ी और विदा का काम भी शामिल रहता है। फिर भी बुकिंग करते समय यह बातें खोल लें। इनका कुल खर्चा 11,000 से लेकर 31,000 रुपये तक आता है।

घोड़ी का खर्चा 1000 से 3,000 तक और 2 घोड़ों वाली बग्घी की बुकिंग तो 5000 रुपये में हो जाती है, मगर बग्घी पर होने वाली फूलों की सजावट का खर्चा अलग होता है। लोग अपने टेस्ट के अनुसार 5000 से 20000 रुपये तक की फूलों की सजावट करवाते हैं। ढोल मास्टर 500 से 1000 रुपये तक में बुक हो जाता है। लाइटिंग में जैनेरेटर के साथ 4000 से 10,000 रुपये तक का रेट चल रहा है। इनमें भी आदमियों की गिनती के हिसाब से रेट होते हैं।

(यह लेख हिंदुस्तान के दिसंबर के अंक में प्रकाशित हुआ है)

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