Wednesday, December 1, 2010

प्लानिंग मस्त, वेडिंग मदमस्त
सुबोध भारतीय
First Published:29-11-10 01:02 PM
Last Updated:29-11-10 01:04 PM

First Published: 29-11-10 01:02 PMLast Updated:29-11-10 01:04 PM

सुबोध भारतीय
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हमारे देश में शादी-ब्याह का आयोजन एक ऐसे फेस्टिवल की तरह होता है, जो कई दिनों तक चलता है। शादी के आयोजन का मतलब ही उत्साह, उल्लास और आनंद होता है और यह मजा लेने के लिए आपको सही प्लानिंग करनी होगी। कैसे करें प्लानिंग, बता रहे हैं सुबोध भारतीय
रिश्ते की शुरुआत
किसी भी शादी की शुरुआत लड़का-लड़की को पसंद करवा कर संबंध जोड़ने से होती है। पहले आपसी लोगों के संबंध और संपर्कों के माध्यम से यह काम होता था, अब शादी व रिश्तों की वेबसाइट्स और अखबारों में मेट्रोमोनियल विज्ञापनों के जरिये रिश्ते ढूंढ़े जा रहे हैं। नेट से लड़का-लड़की के प्रोफाइल व फोटोज का आदान-प्रदान करना काफी सुविधाजनक हो गया है। सोशल नेटवर्किग साइट्स के जरिये भी यह काम हो रहा है।
रिश्ते को आगे बढ़ाने की अगली सीढ़ी लड़का-लड़की को आपस में मिलवा कर पसंद करवाने की है। इसके लिए स्थान का चयन महत्त्वपूर्ण है। पहले लड़की दिखाने के लिए मंदिर और पार्कों का इस्तेमाल होता था, अब इसकी जगह रेस्टोरेंट अथवा मॉल्स के फूड कोर्ट ने ले ली है। यहां दोनों के परिवारीजन आराम से बैठ कर एक दूसरे से परिचय बढ़ाते हैं और लड़का-लड़की को अलग टेबल पर तसल्ली से बातचीत करने के लिए छोड़ देते हैं। ऐसे में मेजबानी का दायित्व लड़की वाले ही उठाते हैं। कन्या पक्ष को हमारा सुझाव है कि वह मेहमानों की खातिरदारी दिल से करें, मगर इतना ज्यादा और आग्रहपूर्वक न करें कि वर पक्ष को उसका दबाव महसूस हो और वह सहज अनुभव न कर पाएं। इसी प्रकार वर पक्ष को चाहिए कि इस पहली मुलाकात में कन्या पक्ष का कम से कम खर्चा करवायें, ताकि यदि उन्हें इस रिश्ते से इंकार भी करना पड़े तो झिझक न हो। रिश्ता तय करते समय लड़का ही नहीं, लड़की से भी खुल कर सहमति लेनी आवश्यक है, आखिर दोनों को जीवनभर साथ निभाना है। दोनों की सहमति मिल जाने पर परिवारीजन लड़का या लड़की से अलग से बातचीत करके अपनी तसल्ली करें।
रिश्ता तय होने के बाद
लड़का-लड़की पसंद हो जाने के बाद सबसे पहला कार्य शादी की शुभ तारीख तय करने का होता है। इसमें दोनों पक्षों को अपने-अपने पंडितों आदि की राय ले लेनी चाहिए। यदि शुभ मुहुर्त्त एक से अधिक तारीखों का हो तो ऐसी तारीख चुनें, जिसमें ज्यादा शादियां न हों, क्योंकि ऐसा होने पर मेहमानों की संख्या कम रह जाती है। और ऐसे दिनों में सड़कों पर भी भीड़ अधिक होने से मेहमानों को आने में असुविधा भी होती है।
विवाह की तारीख तय हो जाने पर कुछ कार्य आपको सबसे पहले निबटाने होंगे, जैसे शादी के समारोहों के वेन्यू की बुकिंग, क्योंकि दिल्ली में आबादी बढ़ने के साथ ही अब अच्छे फार्म हाउस, बैंक्वेट हॉल्स और पंडालों की बुकिंग मुश्किल और महंगी होती जा रही है। देर से बुकिंग करने पर आपके पास च्वाइस ही नहीं रह जाती, इसलिए तारीख तय होते ही सबसे पहले वेन्यू की बुकिंग का कार्य करें।
इसी प्रकार से बैंड बाजे, ढोल, घोड़ी, बग्घी आदि की भी बुकिंग जल्द से जल्द करा लेनी चाहिए। क्योंकि जैसे-जैसे शादियों का सीजन करीब आने लगता है, इनके दाम भी दिन दूने रात चौगुने बढ़ने लगते हैं।
इसके बाद आप अपने उन मेहमानों की लिस्ट बनाएं, जिन्हें आप शादी में बुलायेंगे। इन्हें चार भागों में बांट लें- 1. रिश्तेदार, 2. मित्र, 3. पड़ोसी, 4 व्यवासायिक सहयोगी।
ऐसा करने से आप सभी मेहमानों की लिस्ट कवर कर पाएंगे। दूर-दराज से आने वाले रिश्तेदारों-मेहमानों को कार्ड छपने से पहले ही सूचना दे दें, ताकि वे अपनी तैयारी समय से कर सकें। उनके आगमन की पुष्टि भी अवश्य कर लें, ताकि आप उनके ठहरने आदि की उचित व्यवस्था कर पायें। मेहमानों की लिस्ट बनाते समय उनके आगे आने वाले संभावित सदस्यों की संख्या भी लिखते जाएं, ताकि आपको अपने मेहमानों की उचित संख्या का अंदाजा हो जाए। ऐसा करने से आपको व्यवस्था करने में बहुत आसानी होगी।
रिश्ता तय करते समय क्या देखें
यदि रिश्ता तय करते समय दोनों पक्षों को भली प्रकार जानने वाला व्यक्ति मध्यस्थ हो तो बेहतर होगा। दोनों पक्ष एक दूसरे पर भरोसा रख पाएंगे।
नेट या अखबार के विज्ञापनों के जरिये रिश्ता करने से पहले अड़ोस-पड़ोस से परिवार के बारे में जानकारी अवश्य लें। वैसे कई प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां भी दस से पंद्रह हजार रुपये लेकर यह जानकारी उपलब्ध कराती हैं।
लड़की दिखाने से पहले वर पक्ष का घर देखना चाहिए कि जिस घर में लड़की जाकर रहेगी, वह उनके स्तर और पसंद का है अथवा नहीं।
लड़की को प्राइवेट में पहली बार देखते समय वर पक्ष सिर्फ उन्हीं लोगों को लेकर जाए, जिनकी राय इस रिश्ते को कराने में मायने रखती है।
कन्या पक्ष लड़की दिखाते समय अनावश्यक दिखावा न करे और न ही कोई ऐसा झूठ बोले, जिसे आगे निभाना मुश्किल हो। मेहमाननवाजी भी हैसियत के अनुसार करें।
लड़की को चाहे वेस्टर्न कपड़े पहनाएं अथवा साड़ी-सूट, मगर वे सुरुचिपूर्ण होने चाहिए। अनावश्यक हैवी मेकअप न करवाएं।
लड़का-लड़की को स्वतंत्र रूप से बात करने के लिए अलग से स्थान व भरपूर समय दें।
लड़की या लड़के से परिवारीजन अनावश्यक सवाल-जवाब करके उन्हें असहज न करें। रेस्तरां या पब्लिक प्लेस पर बैठे हुए ऐसे स्वर में बात न करें कि आस-पास बैठे लोगों का ध्यान आप पर ही लगा रहे।
रिश्ते पर पूर्ण सहमति मिलने से पूर्व यदि लड़का-लड़की एक बार फिर मिलना चाहें तो उन्हें ऐसा करने दें।
यदि आप जन्मपत्री आदि मिलाने में यकीन रखते हैं तो यह कार्य लड़का-लड़की देखने से पहले ही कर लें।
लड़का-लड़की में से यदि कोई मांगलिक है तो यह बात पहले बता देनी चाहिए। बाद में पता चलने पर मन में वहम आते हैं तथा रिश्तों में खटास पैदा हो सकती है।
लड़का-लड़की को एक दूसरे की पसंद जान लेना भी आवश्यक है। उदाहरणार्थ लड़का घूमने-फिरने का शौक रखता है और लड़की को घर में रहना पसंद है तो आगे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाना मुश्किल हो सकता है।
लड़का-लड़की का कोई भी शारीरिक दोष या बीमारी भी पहले से खुल कर बता देनी चाहिए। बाद में यह बात खुलने पर रिश्तों में कड़वाहट या तनाव पैदा हो सकता है।
लड़कों के ड्रिंक करने या नॉनवेज खाने की बात पहले ही बता देनी चाहिए। कई लड़कियां ड्रिंक करने वाले लड़कों के साथ असहज महसूस करती हैं और शादी के बाद ऐसे लोगों के सोशल सर्कल में मूव नहीं कर पातीं।

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