Friday, December 17, 2010

ताकि शादी हो पिक्चर परफेक्ट
सुबोध भारतीय
First Published:14-12-10 05:06 PM
Last Updated:14-12-10 05:07 PM
ई-मेल Image Loadingप्रिंट टिप्पणियॉ: Image Loadingपढे Image Loadingलिखे (0) अ+ अ-

शादी तय होने के बाद दूल्हा-दुल्हन के करीबी लोग तो शादी के आयोजन में जुट जाते हैं, मगर दूल्हा-दुल्हन के जिम्मे सबसे बड़ा काम रह जाता है-अपने लिए परिधान के चयन का। दोनों चाहते हैं कि इस शुभ मौके पर अपने करीबी और मेहमानों के बीच ऐसी पोशाक पहनें, जिससे उनका अंदाज और टेस्ट उसमें झलके और उनकी शादी के दिन सबकी नजर बस उन दोनों पर टिकी रहे। आइए जानें, आजकल क्या नया चल रहा है वेडिंग फैशन में:

दूल्हे की पोशाक और एक्सेसरीज

नब्बे के दशक से दूल्हों की मुख्य ड्रेस शेरवानी बन गई है। कल्पना कीजिए दूल्हा एक नॉर्मल सूट पहने है और उसके साथ दुल्हन एक भारी-भरकम लहंगा पहने खड़ी है। यह मिस मैच हो जाएगा, इसलिए शेरवानी दूल्हे के लिए उतनी ही महत्त्वपूर्ण बनती जा रही है, जितना दुल्हन के लिए लहंगा।

दिल्ली के प्रसिद्ध ग्रूम फैशन रिटेल चेन दीवान साहब के सुमित दीवान के अनुसार, ‘अब शेरवानी के बिना दूल्हे की कल्पना भी मुश्किल है।’ शेरवानी में क्रीम, फॉन, गोल्डन जैसे शेड्स प्रचलन में हैं। इनमें जरदोजी, ऊसरी और स्टोन का काम किया जाता है। साटन फैब्रिक इस समय ट्रैंड में है। वैसे फोर वूल, सिल्क और पॉलिस्टर की भी शेरवानियां बनवाई जा रही हैं। अगर आपके पास पैसे और समय की कमी नहीं है तो आप अपनी मर्जी का ऐसा कपड़ा भी बनवा सकते हैं, जिसमें आपका नाम बुना गया हो या आपका अपना पसंदीदा डिजाइन उस पर बना हो। अगर आप अपना यह शौक पूरा करना चाहते हैं तो आपको ज्यादा पैसा खर्च करने के लिए भी तैयार रहना होगा। शेरवानी की प्राइज रेंज 12,000 रुपये से शुरू होकर दो लाख रुपये तक है। महंगी शेरवानियों में डायमंड का भी इस्तेमाल किया जाता है। कुछ नया स्टाइल पहनने की इच्छा रखने वालों के लिए इंडो-वेस्टर्न एक अच्छा विकल्प है। इसमें शेरवानी की ऊंचाई छोटी कर दी जाती है और साथ में कम मोरी वाली पैंट पहनी जाती है। इसकी प्राइज रेन्ज भी शेरवानी के मुकाबले कम होती है। यह बारह हजार से नब्बे हजार के बीच उपलब्ध है। शेरवानी और इंडो-वेस्टर्न में एक दूसरा फर्क यह है कि शेरवानी के साथ जूतियां पहनी जाती हैं, जबकि इंडो-वेस्टर्न के साथ जूते। कुछ वेडिंग स्टोर्स इंडो-वेस्टर्न में फर्नीशिंग फैब्रिक भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

दूल्हे के परिधान के साथ अन्य चीजें मिल कर उसकी पूरी रौनक बनाती है, जैसे जूतियां, सेहरा आदि। शेरवानी के कपड़े का इस्तेमाल करके मैचिंग जूतियां बनाई जाती हैं। इनमें बिना तुर्रे और तुर्रेदार जूतियों के अलावा पिशौरी जूतियां भी फैशन में हैं। पिशौरी जूतियां पीछे से खुली होती हैं, जिससे दूल्हे को आराम रहता है। जूतियों में वैसे राजस्थानी स्टाइल ही चलता है। जूतियों के अलावा सेहरे पर लगने वाली कलगी भी दूल्हे की रौनक बढ़ाती है। इसकी प्राइज रेंज 200 रु. से 1200 रु. तक होती है। इंडो-वेस्टर्न ड्रेस के साथ प्वॉइंटेड शूज लेटेस्ट ट्रेंड है। जूतियों की प्राइज रेंज 1400 से 3000 तक है, जबकि सेहरा 3100 से 11000 रुपये तक मिल जाता है।

दुल्हन के लिए खास

दुल्हन की ड्रेस पूरी शादी में आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र होती है। किसी भी दुल्हन की हसरत होती है शादी का खूबसूरत जोड़ा। बॉम्बे सेलेक्शन के प्रदीप सूरी के अनुसार दुल्हन के लहंगे के कई विकल्प आजकल की शादियों में नजर आते हैं। क्रेप, नेट, जॉर्जेट और डय़ूपिन सिल्क के फैब्रिक हैं, जो लहंगा बनाने में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। दुल्हन पर लाल रंग ही फबता है। यही वजह है कि लाल, मेरून, मजेंटा और गाजरी रंग कभी फैशन से आउट नहीं होते। यदि दुल्हन कुछ अलग रंग पहनना चाहे तो पिंक और फिरोजी रंग चुने जा सकते हैं। इन लहंगों पर डायमंड, स्टोन्स, सीक्वेन्स और गोटा पट्टी का काम होता है। जरदोजी और कटवर्क भी ट्रैंड में हैं।

लहंगे दुल्हन की पसंद और शरीर की बनावट के अनुसार तैयार किए जाते हैं। इन दिनों तीन तरह के कट ट्रैंड में हैं- फिश कट, ए कट और अम्ब्रेला कट। फिश में लहंगा बॉडी की बनावट के अनुसार बनाया जाता है, ए-कट वाला लहंगा ऊपर से फिट और नीचे से खुला होता है। अम्ब्रेला कट में घुमावदार बड़ा-सा लहंगा होता है, जो राजस्थानी अंदाज में बना होता है। फ्रंटियर बाजार के प्रवीन शर्मा के अनुसार लहंगे की रेन्ज 30,000 से शुरू होकर 5-6 लाख तक जा सकती है।

(यह लेख हिंदुस्तान के १४ दिसंबर के अंक में प्रकाशित हुआ है)

No comments: