Tuesday, December 13, 2011

किसी को क्या पता जो महफ़िलों की जान होता है
कभी होता है जब तन्हा तो कितनी देर रोता है

यह दुनिया है यहाँ होती है आसानी भी मुश्किल भी
बुरा भी ख़ूब होता है यहाँ अच्छा भी होता है

तेरी यादों के बादल से गुज़र होता है जब इसका
उदासी का परिंदा मुझसे मिलकर खूब रोता है

किसी को रिश्ते फूलों की तरह महकाए रखते हैं
कोई रिश्तों का भारी बोझ सारी उम्र ढोता है

बढ़ेगी उम्र जब उसकी तब उसका हाल पूछेंगे
अभी तो छोटा बच्चा है सुकूँ की नींद सोता है

‘ज़िया’ क्या शौक है चीज़ें पुरानी जमा करने का
ज़रा-सा दिल है दुनिया भर की यादों को संजोता है

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