Sunday, February 28, 2016

क्या यही कॉमेडी है?
अब से करीब २५-३० वर्ष पूर्व जब की वीसीआर का चलन था पाकिस्तान का एक नाटक बकरा किश्तों पे बहुत मशहूर हुआ था. ये हम हिन्दुस्तानियों के लिए एक नयी शैली थी और इस नाटक की वजह से पाकिस्तानी कलाकार उमर शरीफ, शकील सिद्दीकी, रउफ लाला आदि हिन्दुस्तान में काफी लोकप्रिय हो गए थे. फिर इसी तरह के कई और नाटक पाकिस्तान से आते रहे और लोकप्रिय होते रहे मगर धीरे धीरे केबल टीवी के आ जाने से ये वक़्त की गर्दिश में गुम हो गए.
फिर आया वो दौर जब हर चैनल पर कॉमेडी के मुकाबले होने लगे. सिद्धू, शेखर सुमन, अर्चना पूरन सिंह, सोहैल खान आदि चुके हुए कलाकार इस तरह के शो जज करने लगे. इन शोज की वजह से हिन्दुस्तान को कई बेहद प्रतिभावान और छुपे हुए टैलेंटेड कॉमेडियन मिले. एक नया दौर कॉमेडी का शुरू हो गया.
कपिल शर्मा के पास प्रतिभा थी और उसे किस्मत ने एक ऐसा मौका दे दिया जिससे वो रातों रात सुपर हिट हो गया. क्या वो कोई नई चीज़े ले कर आया था? जी नहीं उसने सीधे सीधे पाकिस्तानी नाटकों का वो फॉर्मेट कॉपी किया, जिनकी खासियत होती थी पात्रों की बेइज़्ज़ती करना, खिल्ली उड़ाना और अपने बाप -माँ-बहन-पत्नी की जम कर बेइज़्ज़ती करना. आप ध्यान से देखें आपको कपिल शर्मा के हर एपिसोड में ये डोज़ भरपूर नज़र आएगी. यहां तक की कपिल ने अपने शो में शामिल होने वाले दर्शकों की भी भरपूर insult की. हम सब ये सब देख कर हँसते रहे.
अब सभी शोज में इसका चलन खुल्लम खुल्ला हो गया है... कॉमेडी नाइट्स बचाओ तो बना ही बेइज़्ज़ती करने के लिए है...जहा शामिल होने वाले मेहमान अपनी बेइज़्ज़ती करा कर खुश होते हैं और अपनी फिल्मों का प्रोमोशन करते हैं.
क्या वास्तव में हम लोग कॉमेडी के नाम पर इतने दीवालिया हो गए हैं की दूसरे की बेइज़्ज़ती ही हमारे खुश होने का साधन है? पाकिस्तान में आज भी कोई हास्य का पैमाना यही बेइज़्ज़ती करना है....और अब हमारा भी यही पैमाना बन गया है. हमारे यहां अंगूर, चुपके चुपके, गोल माल, पड़ोसन, प्यार किये जा जैसी शानदार हास्य फिल्में बनी हैं और देख भाई देख, ये जो है ज़िन्दगी..जैसे हास्य सीरियल भी, जिनमे ये सब वाहियात नहीं था. ये दौर ऐसे ही चलता रहेगा या बदलेगा...कॉमेडी के नाम पर फूहड़ हास्य को हम कब तक झेलते रहेंगे?

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