Friday, February 26, 2016

राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह :
आज कल हमारे देश में इस बात को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है की राष्ट्रवाद और देशद्रोह क्या है, इसे कैसे परिभाषित किया जाए ?
हाल में हमारे देश में दो बड़ी घटनाएँ घटीं - JNU  में देश के खिलाफ नारे बाज़ी और हरियाणा में जाट आरक्षण के नाम पर आगजनी और लूटपाट की घटनाएं. जहां JNU के मसले पर संसद में भी बहस हुई और अदालत में मामला भी पहुंचा और तमाम मीडिया में भी ये मामला छाया रहा वहीँ मैं इस बात पर हैरान हूँ की हरियाणा में उपद्रव करनेवाले लोग अभी तक छुट्टे सांड की तरह क्यों घूम रहे हैं? क्या उन्होंने देश की अपार संपत्ति को नष्ट नहीं किया? क्या उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी? क्या उन्होंने हरियाणा को विकास की पटरी से उतारने की कोशिश नहीं की?  क्या उन्होंने हरियाणा के सामजिक ताने बाने को जाट बनाम अन्य की दो खाईयों में नहीं बाँट दिया?
अगर यह देशद्रोह नहीं तो क्या है?
अगर इससे देश का नुक्सान नहीं हुआ तो नुक्सान किसे कहते हैं?
क्या इस तरह तोड़ फोड़ करके अपनी बात मनवाने की नीति कायम हो गयी तो क्या हमारा देश ऐसी सोच वाले लोगों का बंधुआ नहीं हो जाएगा?
लोकसभा में इस बात पर चर्चा क्यों नहीं की गयी? क्या JNU  से ज्यादा नुक्सान इस बात से नहीं हो रहा?
एक भी जाट नेता या षड्यंत्रकारी के खिलाफ अभी तक देशद्रोह का मुकद्दमा क्यों नहीं दर्ज किया गया?
सैकड़ों वीडिओज़ साक्ष के रूप में मौजूद हैं फिर भी कोई क्यों नहीं पकड़ा जा रहा?
जिन लोगों के जान माल का बेतरह नुक्सान हुआ है...उनसे मिलने या सांत्वना देने केजरीवाल से लेकर राहुल गांधी...मायावती या मोदी कैबिनेट का कोई मंत्री अब तक क्यों नहीं गया?
रोहित वेमुला के भाई को नौकरी देने का वादा करने वाले केजरीवाल ने हरियाणा के पीड़ितों के आंसू पोंछने के लिए कोई आर्थिक मदद की घोषणा अब तक क्यों नहीं की?
जिन पुलिस अधिकारीयों के होते हुए हरियाणा में ये सब घटा क्या वह देश द्रोही नहीं कहलायेंगे की उन्होंने अपने कर्तव्य के पालन में जान बूझ कर लापरवाही बरती?
कितनी शर्म की बात है की जाट वोटों के लालच में कोई भी राजनैतिक दल इस सब के खिलाफ नहीं बोल रहा...कृपया आप भी अपने विचार साँझा करें..और इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें.

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